
Duniya Ke Saat Ajoobe: धरती पर जब से मनुष्य के शारीरिक और बौद्धिक विकास हुआ है तब से उन्होंने ऐसे कई सारे कार्य किये है जो आज भी अद्भुत माने जाते है चाहे वह Giza का महान Pyramid हो या बेबीलोन का हैंगिंग गार्डन जिसका वर्तमान समय में हूबहू दूसरी नकल बनाना आधुनिक Engineering के लिए भी नामुमकिन है।
अगर बात की जाए आधुनिक दुनिया के 7 Ajoobe Ke Naam की तो वह केवल पिछले 100 सालो से जाने जाते है क्योकि इससे पहले जो अजूबे हुआ करते थे वह प्राचीन दुनिया के 7 अजूबे हुआ करते थे जिसका विचार Greek Historian Herodotus और विद्वान Callimachus को 450 BC में आया था और उन्होंने 7 अजूबो की सूची बनाई थी।
हालाँकि प्राचीन काल के 7 अजूबो में केवल 1 अजूबा ही वर्तमान समय मे उपलब्ध है जिसका नाम Great Pyramid Of Giza है और बाकी 6 अजूबे नष्ट हो चुके है यही कारण है कि आगरा के ताज महल का नाम दुनिया के 7 अजूबो में कुछ साल पहले ही जोड़ा गया है।
दरअसल दुनिया के 7 अजूबे 2007 से पूरी तरह से बदल चुके है क्योकि साल 2000 से 2007 के बीच मे Switzerland के New7wonders Foundation के द्वारा दुनिया के 200 Historical Buildings को लेकर एक Survey कराया गया था तब जाकर उनमे केवल 7 अद्भुत बिल्डिंग को ही दुनिया का 7 अजूबो की लिस्ट में शामिल किया गया है।
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दुनिया के 7 अजूबे कैसे चुने गए ?
जैसा कि हमने आपको ऊपर में बताया है की दुनिया के 7 नये अजूबे कब और किस संस्था द्वारा बनाये गए है लेकिन अब जानते है कि दुनिया के 7 अजूबे किस-किस बात को ध्यान में रखकर चयन किया गया है।
तो यह पूरे विश्व मे अपने खूबसूरती, मजबूती और कलाकारी के लिए जाने जाते है और इसीबात को ध्यान में रखकर मॉडर्न दुनिया के 7 अजूबे बनाये गए है जिनमे हमारे देश में मौजूद ताज महल का भी नाम भी शामिल है।
परंतु अब आप सोच रहे होंगे कि इनको 200 ऐतिहासिक बिल्डिंग में से केवल इन्ही 7 बिल्डिंग को अजूबा क्यो घोषित किया गया है तो मैं आपको बताना चाहूंगा कि इनको वोटिंग के जरिये साल 2007 में दुनिया भर के लोगो द्वारा चुना गया है और तकरीबन दुनियाभर 100 मिलियन लोगो ने ऑनलाइन वोटिंग किया था।
प्राचीन दुनिया के सात अजूबे कौन-कौन से है ?
प्राचीन दुनिया सात अजूबा आज से 2100 साल पुराना है जो दुनिया का प्रथम सात अजूबो की लिस्ट है जिस समय मे कोई भी मॉडर्न तकनीक उपलब्ध नही थी ऐसे हालात में यह सिर्फ स्मारक ही नही बल्कि Human Achievement की मिसाल थी उन्ही की लिस्ट हमने नीचे में आपको Bullet Point में दिया है।
- Great Pyramid of Giza (गीज़ा का महान पिरामिड)
- Hanging Gardens of Babylon (बेबीलोन के झूलते बगीचे)
- Mausoleum at Halicarnassus (हैलिकार्नासस का मकबरा)
- Colossus of Rhodes (रोड्स के कोलोसस की मूर्ति)
- Temple of Artemis at Ephesus (आर्तिमिस का मंदिर)
- Statue of Zeus at Olympia (ओलंपिया में जिउस की मूर्ति)
- Lighthouse of Alexandria (सिकंदरिया का प्रकाश स्तंभ)
तो दोस्तो यह है प्राचीन दुनिया का सात अजूबा जिसका नाम हमने ऊपर में बताया है यदि आप इन अजूबे की फ़ोटो और इनका इतिहास जानना चाहते है तो इसके बारे में हमने नीचे विस्तार से बताया है।
दुनिया के सात नए अजूबे कौन-कौन से है ?
तो चलिए दोस्तो अब हम जानते है वर्तमान समय मे सात दुनिया के अजूबे कौन-कौन से है और वह किस देश मे स्तिथ है उसके अलावा हम यह भी जानने की कोशिश करेंगे इन अजूबो को किस साल में निर्माण किया गया था।
दोस्तो आधुनिक दुनिया के 7 नये अजूबे पिछले 100 सालों से जाने जाते है और इनमे से कुछ अजूबे तो ऐसे भी है जो पुराने सात अजूबो में भी अपना स्थान रखते है।
- Petra (पेट्रा)
- Machu Picchu (मछु पिच्चू)
- Great Wall Of China (चीन की महान दीवार)
- Taj Mahal (ताजमहल)
- Chichen Itza (चिचेन इट्ज़ा)
- Colosseum (कालीजियम)
- Christ The Redeemer (मसीह उद्धारक)
7 अजूबो के नाम | निर्माण वर्ष | निर्माणकर्ता | स्थान |
पेट्रा | 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व | नाबतीयन प्राचीन लोगों द्वारा | जॉर्डन |
मछु पिच्चू | 1430 ई. | इंकाओं | पेरू |
चीन की महान दीवार | 220 ईसा पूर्व | किन शी हुआंग | चीन |
ताजमहल | 1648 ई. | शाहजहां | भारत |
चिचेन इट्ज़ा | 600-900 ई. | माया लोगों के द्वारा | मेक्सिको |
कालीजियम | 72 ई. | वेस्पियन | इटली |
मसीह उद्धारक | 1931 ई. | कैथोलिक पादरी पेड्रो मारिया बॉस | ब्राज़ील |
Duniya Ke Saat Ajoobe Ke Naam (दुनिया के सात अजूबे के नाम)
1. Petra (पेट्रा)

Petra(पेट्रा) जॉर्डन के एक महान राज्य में स्तिथ ऐतिहासिक शहर है जो अपने पत्थर से तराशी गयी इमारतों के लिए प्रसिद्ध है इसे छटी शताब्दी ईसापूर्व में नाबातियो ने अपनी राजधानी के तौर पर स्थापित किया था।
माना जाता है कि इसका निर्माण कार्य 1200 ईसा पूर्व में शुरू किया गया था और आधुनिक युग मे यह मशहूर पर्यटक स्थल है जो कि दुनिया के सात अजूबो में शामिल है, पेट्रा अपने विचित्र वस्तु कला के लिए दुनिया के सात अजूबे में शामिल है।
यहाँ तरह-तरह की इमारते है जो लाल बलुआ पत्थर से बनी है और सब पर बेहतरीन नक्काशी की गई है, इसमे 138 फिट ऊचां मंदिर, तालाब, नहरे तथा एक खुला स्टेडियम है और यह जॉर्डन के लिए विशेष महत्व रखता है क्योकि यह उसकी कमाई का जरिया है।
पेट्रो के पत्थर का रंग लाल होने की वजह से इसे Rose City के नाम से भी जाना जाता है और पेट्रो को दुनिया मे सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है और इस जैसा कोई भी नही है जिसकी प्रशंशा पूरे इतिहास में की जाती है।
अगर बात करे यहाँ की वास्तुकला की तो पेट्रा के खंडहर दुनिया के सबसे पुरातात्विक स्थलों में से एक है इसकी वस्तु कला लोगो को चकित करती है क्योकि यह आधा चट्टानों को काटकर बनाया गया है और अब तक पेट्रा के 15% भाग की खोज की गई है और 85% अभी भी भूमिगत है।
Petra लाल चोटियों से घिरा हुआ है जिसकी वजह से इसका रंग लाल है जिसकी वजह से इसको Rose City भी कहा जाता है और खोज कर्ताओं के अनुसार नावतिय ने पेट्रा शहर का निर्माण सूर्य की खगोलीय गजीविधियो को ट्रैक करने के लिए किया था।
यह कब्रो, स्मारकों और पवित्र संरचनाओं का एक विशाल शहर है और पेट्रा में लगभग आठ सौ नक्काशीदार कब्रे है और नाबतीयन के शाशनकाल में पेट्रा की जनशंख्या 2000 से अधिक था।
अजूबे का नाम | पेट्रा |
देश | जॉर्डन |
स्थापना | 312 ईसा पूर्व में नाबतियन द्वारा |
निर्माण वर्ष | 1200 ईसा पूर्व |
प्रचलित नाम | Rose City |
अजूबो में शामिल कब किया गया | July 2007 |
ऊँचाई | 810 मीटर |
छेत्र | अरब राष्ट्र |
2. Machu Picchu (मछु पिच्चू)

माना जाता है कि मछु पिच्चू 1400 दशक के बीच मे इंका साम्राज्य के नौवे शासक पचैती इंका युपनक्वी द्वारा बनाया गया था, Machu Picchu की खोज America की एक University येल के Professor हिराम बिंघम तृतीय ने 1911 में की थी।
हालाँकि वो वहाँ पे एक दूसरा शहर तलाश करने के लिए गए थे जिसका नाम विलम्बा था वो तो मिला नही लेकिन उन्होंने मछु पिच्चू को खोज लिया और उन्होंने मच्चू पिच्चू पर एक किताब भी लिखा था जिसका नाम The Last City Of The Incus था।
दोस्तो मच्चू पिच्चू का अर्थ होता एक "पुरानी चोटी" या "पुराना पहाड़" और यह पेरू देश मे हुयाना पिच्चू पहाड़ो के पिच में स्तिथ है जो कि एंडीज़ पर्वत माला का एक हिस्सा है जिसकी ऊँचाई 2430 मीटर है और इसके सैकड़ो फिट नीचे उरुबम्बा नदी है।
इसकी Architecture की जो क्वालिटी है और इसका जो मनमोहक नज़ारा है वो इसे आज दुनिया के 7 अजूबो में शामिल करता है और मच्चू पिच्चू को 1983 में यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल किया गया और 2007 में इसे दुनिया के 7 नए अजूबे में शामिल किया गया।
इंका साम्राज्य की जो सिविल इंजीनियरिंग थी वो कमाल की थी क्योकि उसमे जानवरो, लोहे के औजारों, पहियों का इस्तेमाल नही किया जाता था और यहाँ तक की इसको बनने के लिए किसी भी प्रकार का मोर्टार (Slurry) का प्रयोग नही किया गया था।
उन पत्थरो को इतनी बारीकी से काटा गया और इतनी सटीकता से जचाया गया कि इनके बीच मे एक डेबिट कार्ड भी नही फस सकता है हालाँकि पेरू एक भूकंपीय देश है और जब भी वहाँ भूकंप आता है तो इमारतों के पत्थर झटके खाकर उछलती है और फिर वापस वहाँ जाकर बैठ जाती है।
यह एक Fact है कि मच्चू पिच्चू को बनाने के लिए जिन पत्थरो का प्रयोग किया गया था उनमे से कुछ पत्थरो का वजन तो 50 Pound से भी अधिक था लेकिन यह माना जाता है कि इन पत्थरों को ऊपर पहाड़ तक ले जाने के लिए किसी भी प्रकार का पहिये गाड़ी का इस्तेमाल नही किया गया था बल्कि सैकड़ो लोगों ने इन पत्थरों को धकेल के ऊपर पहाड़ पर चढ़ाया था।
अजूबे का नाम | Machu Picchu (मछु पिच्चू |
देश | पेरू |
ऊँचाई | समुद्र तल से 2,430 मीटर |
अजूबे में शामिल | 7 जुलाई 2007 |
संस्कृति | इंका सभ्यता |
क्षेत्र | दक्षिण अमेरिका और कैरिबिया |
निर्माण कार्य | 1430 ई. |
खोजकर्ता | हीरम बिंघम, 1911 |
परित्यक्त | 1572 |
प्रकार | मिश्रित |
3. Great Wall Of China (चीन की महान दीवार)

सम्राट किन शिहुआंग को मुख्य रूप से पहले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है जिन्होंने The Great Wall Of China के निर्माण का आदेश दिया था और इसको बनाने का उद्देश्य उत्तरी हमलावरों से अपने देश की रक्षा करना था।
इस दीवार को बनाने की शुरुआत 221 ईसा पूर्व में शुरू की गई थी और इसका जो आखरी Construction था वो लगभग पंद्रहवी शताब्दी तक चला था और अनेक शाशक बीच मे आते गए और इस दीवार को बनाते गए और बाद में इस दीवार के सारे हिस्सो को जोड़ दिया गया जिसे The Great Wall Of China का नाम दिया गया।
आपको बतादे की इस दीवार को बनाने में दस लाख से अधिक लोगो का श्रमबल लगा था जिंसमे वहाँ के आम नागरिक भी शामिल थे और वहाँ के सैनिक भी और कैदी भी शामिल थे यानी कि वहाँ के अपराधी भी इसे बनाने में शामिल थे।
अब बात करते है इसकी लंबाई की तो 2012 में चीन की State Of Culture Relics द्वारा घोषणा अनुसार इसकी कुल लंबाई 21196 किलो मीटर है और इसकी औसत ऊँचाई 6-7 मीटर है और इसकी औसत चौड़ाई 4 से 5 मीटर है।
19 वी सदी की शुरुआत में, चीन की दीवार को चाँद से देखे जाने की विशाल अफवाह फैली हुई थी और आपने भी ऐसा सुना होगा कि चीन की दीवार को चाँद से देखा जाता है जो कि वास्तव में बिल्कुल गलत है हालाँकि Google Map से यह दीवार साफ-साफ देखी जा सकती है।
क्या आप जानते है कि इस दीवार के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह दुनिया का सबसे लंबा कब्रिस्तान है क्योकि 10 लाख श्रमिको में से 4 लाख श्रमिको की मृत्यु वही हो गयी थी और उन्हें इसी दीवार में दफन कर दिए गए थे।
अजूबे का नाम | Great Wall Of China (चीन की महान दीवार) |
देश | चीन |
ऊँचाई | 7 मीटर |
प्रकार | सांस्कृतिक |
निर्माणकर्ता | सम्राट किन शिहुआंग |
बनाने का उद्देश्य | उत्तरी हमलावरों से देश की रक्षा करना |
निर्माण कार्य | 221 ईसा पूर्व |
लंबाई | 21196 KM |
यूनेस्को में शामिल | 1987 ईस्वी में |
चौड़ाई | 4 से 5 मीटर |
4. Taj Mahal (ताजमहल)

ताज महल का निर्माण शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की मृत्यु जो 17 जून 1631 को हुई थी उनकी कब्र को बनाने के लिए किया था। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में यमुना नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है।
ताज महल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और इसका मकबरा 1643 में पूरा हो गया जबकि आस-पास की इमारतों और बगीचों को बनने में 10 साल का समय और लगा था।
ताज महल में मुमताज महल के साथ-साथ शाहजहाँ का भी मकबरा स्तिथ है और शाहजहाँ की अन्य पत्नियों यहाँ तक कि उसके पसंदीदा नौकरों को ताज महल के बाहर मकबरों में दफनाया गया है।
इसका निर्माण आर्किटेक उस्ताद अहमद लाहौरी के मार्गदर्शन में 20000 से अधिक कारीगरों द्वारा किया गया। उस्ताद अहमद लाहौरी जो ताज महल के मुख्य वास्तुकार थे वो भारतीय नही बल्कि ईरान के फ़ारसी थे।
इसके निर्माण सामग्री परिवहन के लिए 1000 हाथियों का प्रयोग किया गया था और ताजमहल बनाने के लिए सामग्री अलग-अलग जगहों से मंगवाया गया था जैसे- सफेद संगमरमर को मकराना राजस्थान से,
जैस्पर को पंजाब से, जेड और क्रिस्टल को चीन से, फिरोजा को तिब्बत से, लापीस लाजुली को अफ़ग़ानिस्तान से, नीलम को श्रीलंका से और कारेलियन को अरब से लाया गया था और इसमे 28 प्रकार के कीमती पत्थरो को सफेद संगमरमर में जड़ा हुआ था जिनको ब्रिटिश सैनिकों ने 1857 में सिपाही विद्रोह के दौरान महल के दीवारों से निकाल लिया था
अजूबे का नाम | Taj Mahal (ताजमहल) |
देश | भारत |
ऊँचाई | 73 Meter |
बनाया गया | 1631–1653 ईस्वी |
संस्कृति | इंका सभ्यता |
क्षेत्रफल | 42 एकड़ |
निर्माणकर्ता | शाहजहाँ |
आर्किटेक्ट | उस्ताद अहमद लाहौरी |
ताज महल बनाने में लागत | 3 करोड़ 20 लाख |
यूनेस्को में शामिल | 1983 |
5. Chichen Itza (चिचेन इट्ज़ा)

चिचेन इट्ज़ा का निर्माण माया समुदाय के लोगो ने छठी शताब्दी से शुरू किया था जो लगभग बारहवी शताब्दी तक चला था और यह मेक्सिको में यूकाटन प्रायद्वीप पर बसा हुआ है और चिचेन का अर्थ है "कुआँ का मुँह" और इट्ज़ा का अर्थ है यहाँ रहने वाली जनजाति क्योकि यूकाटन प्रायद्वीप प्राकृतिक कुओ से भरा पड़ा है इसीलिए इसका नाम ऐसा पड़ा।
पुरातत्व प्रमाण इसबात की पुष्टि करते है कि 1221 ईस्वी में एक विद्रोह हुआ था जिंसमे इसके महान बाज़ार की लकड़ी की छते और योद्धाओं के मंदिर को जला दिया गया था उसके बाद 14 वी शताब्दी में चिचेन इट्ज़ा का रहस्मयी अंत हो गया था।
शोधकर्ता बताते है कि वहाँ का मौसम बहुत खराब हो गया था और सूखे की मार हो गयी थी जिस कारण 14 वी शताब्दी में इसका अंत हो गया और आखिर में 16 वी शताब्दी में स्पैनिशो ने चिचेन इट्ज़ा को जीत लिया था।
चिचेन इट्ज़ा में 4 प्रसिद्ध क्लस्टर है जिंसमे Great North Platform, Ossario Group, Central Group और Old Chichen शामिल है और इन चारो में से केवल The Great North Platform को ही जनता के लिए खोला गया है।
अपने समय मे चिचेन इट्ज़ा पूरे यूकाटन परायद्वीप में सबसे अधिक आबादी वाला शहर था। आज भी इसके खंडहर वास्तुशिल्प और प्राचीन रहस्यों से भरी एक महान सभ्यता को दर्शाते हैं।
चिचेन इट्ज़ा में कई जगह अपनी असामान्य आवाज़ के लिए जानी जाती है। कुकुलन पिरामिड के सामने आप एक ताली बजाओगे तो आपको दूसरी साइड साँप की भुस जैसी आवाज़ सुनाई देगी।
अजूबे का नाम | Chichen Itza (चिचेन इट्ज़ा) |
देश | भारत |
ऊँचाई | 73 Meter |
बनाया गया | 1631–1653 ईस्वी |
संस्कृति | इंका सभ्यता |
क्षेत्रफल | 42 एकड़ |
निर्माणकर्ता | शाहजहाँ |
आर्किटेक्ट | उस्ताद अहमद लाहौरी |
ताज महल बनाने में लागत | 3 करोड़ 20 लाख |
यूनेस्को में शामिल | 1983 |
6. Colosseum (कालीजियम)

रोमन कोलोजियम का निर्माण इटली के शहर रोम में 72 ईस्वी में सम्राट वेस्पासियन ने शुरू किया था जिसके बाद में उनके उत्तराधिकारी और उनके बेटे टाइटस ने 80 ईस्वी में पूरा किया था यानी लगभग आठ साल इसे पूरा बनने में समय लग गया।
इतिहासकारों का मानना है कि इसका वर्तमान नाम जो कालीजियम है वो इसके पास खड़ी 35 मीटर ऊंची कांस्य प्रतिमा से पड़ा है जिसका नाम कोलोसस ऑफ नीरो है और इसका निर्माण चुना पत्थर, टफ(ज्वालामुखी चट्टान) और कंक्रीट से किया गया है।
जब यह बनाया गया था तो उस समय यह दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम था जिंसमे 50000 से 80000 दर्शक एक साथ बैठ सकते थे और जब इसका उद्घाटन किया गया तो उस समय एक स्मारक सिक्का भी जारी किया था।
रोम की तीखी धूप और गर्मी से दर्शकों को बचाने के लिए एक वेलोरियम लगाया गया यानी की एक ऐसा शामयाना जो दर्शकों को छाया प्रदान कर सके और कोलोजियम के नीचे कई सारे कमरे और भूमिगत मार्ग भी थे।
जहाँ जानवरो और ग्लेडिटियर्स को रखा जाता था और विशेष प्रभाव के लिए अखाड़े में 36 जाल दरवाजे भी थे। कालीजियम की वो घटनाएं गंभीर रूप से बहुत ही क्रूर थी जिंसमे एकही दिन में लगभग 10000 जानवरो को मार दिया गया था।
हालांकि सम्राटों द्वारा आयोजित कुछ ही खेलो के साथ ऐसा हुआ था कुछ समय बाद लगभग 1200 फ़्रेंगपानी परिवारों ने कालीजियम पर कब्जा कर लिया और इसे एक किले के रूप में इस्तेमाल करने लगे।
समय के साथ यह अखाड़ा रोम की पहचान बन गया और 2018 में यह 7.4 Million पर्यटकों के साथ दुनिया का सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थल रहा है।
अजूबे का नाम | Colosseum (कालीजियम) |
देश | रोम, इटली |
ऊँचाई | 48 मीटर |
बनाया गया | 72 ईस्वी |
एम्फीथिएटर में दर्शक बैठ सकते है | 50000-80000 |
जाल दरवाजो की संख्या | 36 |
निर्माणकर्ता | वेस्पासियन |
चौड़ाई | 156 मीटर |
7. Christ The Redeemer (मसीह उद्धारक)

1921 में रियो डी जेनेरियो के रोमन कैथोलिक ने यह प्रस्ताव दिया कि यह पर्वत जिसका नाम कोरकोवाडो है जिसकी ऊँचाई 704 मीटर है इस पर्वत पर इसाह मसीह की प्रतिमा का निर्माण किया जाए क्योकि इस पर्वत की ऊँचाई ज्यादा है तो इसपर निर्माण करने से यह प्रतिमा पूरे शहर में दिखाई देगी।
Christ The Redeemer की नींव Official रूप से 4 अप्रैल 1922 को रखी गयी थी और नींव तो रख दी गयी थी लेकिन डिज़ाइन इसका अभी तक नही तैयार किया गया था तो उस वर्ष डिज़ाइनर को खोजने के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था।
जिंसमे एक ब्राज़ील के Engineer जिनका नाम हेइटर दा सिल्वा कोस्टा है उन्होंने एक स्केच बनाया था उस स्केच में दाएं हाथ मे एक क्रोस था और बाएं हाथ मे पूरा संसार था तो इस स्केच के आधार पर हेइटर दा सिल्वा कोस्टा को चुन लिया गया था।
हालांकि बाद में ब्राज़ील के एक कलाकार थे जिनका नाम कार्लोस ओसवाल्ड था उनकी मदद से सिल्वा कोस्टा ने स्केच में बदलाव भी किया था और बाद में दूसरा स्केच बनाया गया जिस स्केच में मूर्ति सीधी खड़ी है और उसके दोनों हाथ फैले हुए है।
बाद में इस डिज़ाइन को Finale किया गया और सारा फण्ड चर्च के द्वारा निजिरुप से इकट्ठा किया गया और फिर 1926 में इसका निर्माण कार्य शुरू हो गया और पांच साल के बाद जाकर यह मूर्ति बनाकर तैयार हो गयी।
अजूबे का नाम | Christ The Redeemer (मसीह उद्धारक) |
देश | ब्राज़ील |
ऊँचाई | 38 मीटर |
बनाया गया | 1922 से 1931 के बीच |
वजन | 635 टन |
स्थित है | कोर्कोवाडो पर्वत |
बनाने में मटेरियल | कांक्रीट और सोपस्टोन |
प्राचीन दुनिया के 7 अजूबे और उनके फ़ोटो (Seven Wonders of The Old World)
1. Great Pyramid of Giza (गीज़ा का महान पिरामिड)

प्राचीन 7 अजूबो में यह अजूबा इतना मजबूत है जिसने इतिहास में न जाने कितने सारे आपदा का सामना किया है फिर भी यह अपने जगह पर टिका हुआ है Great Pyramid 4000 वर्षों तक सबसे ऊंची मानव निर्मित संरचना थी पिरामिड का स्ट्रक्चर पुराने Engineering का सटीक प्रमाण देता है और यह अपने आप मे ही अद्भुत है जो न जाने कितने सारे राज दफन किये बैठा है।
2. Hanging Gardens of Babylon (बेबीलोन के झूलते बगीचे)

माना जाता है कि बेबीलोन के झूलते बगीचे इराक के प्राचीन शहर बेबीलोन में स्तिथ थे हालाँकि इसका कोई पक्का प्रमाण नही मिलता है जिससे यह साबित हो सके कि यह बगीचा थे या नही। कहा जाता है कि यह झूलते बाग जमीन में स्तिथ नही थे बल्कि किसी महल के छतों के ऊपर उगाए गए थे इसीलिए इसे बेबीलोन का झूलता बगीचा कहा जाता है।
3. Mausoleum at Halicarnassus (हैलिकार्नासस का मकबरा)

हैलिकार्नासस नामक जगह पर बने इस मकबरे की ऊंचाई 150 फुट थी और इसका निर्माण 623 ईसा पूर्व में किया गया था और यह निर्माण वहाँ के राजा मौसोल्स ने करवाया था और उनके मारने के बाद यह इमारत उनकी याद में जाना जाता था।
4. Colossus of Rhodes (रोड्स के कोलोसस की मूर्ति)

ग्रीक की इन वास्तुकला को विश्व के सात प्राचीन अजूबे में शामिल किया गया है। रोड्स ऑफ कोलोसस की यह मूर्ति करीब 300 ईसा पूर्व में बनाई गई थी और यह रोडस के राजा साइप्रस के राजा पर मिली जीत की खुशी में बनाई गई थी।
5. Temple of Artemis at Ephesus (आर्तिमिस का मंदिर)

ग्रीक देवी अर्तिमिस को समर्पित इस मंदिर बनाने में 120 सालो का समय लगा था और 401 ईस्वी में पूर्णरूप से तबाह होने से पहले भी यह 3 बार नष्ट हो चुकी थी और तीनो बार इसका पुर्ननिर्माण कराया गया था।
6. Statue of Zeus at Olympia (ओलंपिया में जिउस की मूर्ति)

प्राचीन ओलंपिया में स्तिथ जिउस की मूर्ति प्राचीन विश्व के सात आश्चर्यो में से एक थी और इस मूर्ति का निर्माण यूनानी मूर्तिकार Phidias ने 432 ईसा पूर्व में किया था और इस मूर्ति को यूनान के ओलंपिया में स्तिथ जिउस के मंदिर में स्थापित किया गया था।
7. Lighthouse of Alexandria (सिकंदरिया का प्रकाश स्तंभ)

मिस्र में दुनिया का एक और अजूबा पाया जाता था जो था सिकंदरिया का प्रकाश स्तंभ जिसे समुंद्री नाविकों को राह दिखाने के लिए इस प्रकाश स्तंभ का निर्माण एक छोटे से टापू कर किया गया था।
इसका निर्माण 280 ईसा पूर्व से 247 ईसा पूर्व के मध्य में हुआ था और यह प्राचीन विश्व के तीसरी सबसे बड़ी संरचना मानी जाती है जिसकी ऊंचाई 392 आए 350 फुट के बीच बताई जाती है।
FAQs
प्रश्न 1. आठवां अजूबा क्या है ?
Ans:- आधिकारिक तौर पर दुनिया का आठवां अजूबा घोषित नही है हालाँकि सरदार वल्लभाई पटेल की मूर्ति को भविष्य में आठवा अजूबा बनाया जा सकता है।
प्रश्न 2. क्या दुनिया के 7 अजूबे बदलते हैं ?
Ans:- जी हाँ समय के साथ दुनिया के अजूबे बदलते रहते है।
प्रश्न 3. दुनिया के नए 7 अजूबे क्यों हैं ?
Ans:- क्योकि प्राचीन दुनिया के जो 7 अजूबे थे वह नष्ट हो गए थे जिंसमे केवल एक अजूबा ही बाकी है जिसका नाम पिरामिड है।
प्रश्न 4. ताजमहल 7 अजूबों में से एक क्यों है ?
Ans:- क्योकि ताज महक बहुत ज्यादा खूबसूरत है।
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अंतिम शब्द-
आज मैने आपको Duniya Ke Saat Ajoobe की जानकारी दी और मैं उम्मीद करता हूँ कि आप भविष्य में जरूर इन आश्चयों को घूमने जरूर जाएंगे।
आपको मेरा यह लेख कैसा लगा मुझे Comment करके जरूर बताये और यह जानकारी Useful लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर Share करे और सोशल मीडिया में भी शेयर कर सकते है।
यदि आपको 7 अजूबे से संबंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो हमे कमेंट करके बता सकते है जिससे हमें इस लेख को और भी सुधारने में मदद मिलेगी तब तक के लिए आप हमारे ब्लॉग के अन्य लेख को पढ़ सकते है।
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